धरती की महिमा पहचानो...

 


चाँद गवाह है, गवाह है तारे,धरती अम्बर पर्वत सारे.बन्दर से इन्सान बने हम,इन पैसो के बिना सहारे.
क्या नदियों ने बदले जल के,या पैडो ने मांगा फल के.खुद दुश्मन इन्सान हुए है,अपने आने वाले कल के.
सांस मिलेगी पैसो से औरपैसो से कोई खाना देगा.पानी भी पैसो के बदले,बिन पैसे जग ताना देगा.
धरती की महिमा पहचानो,क्या है जरुरी उसको जानो.गाड़ी मोटर धुआं प्रदूषणबन्द करो अब मेरी मानो.
फिरसे दिल मे प्यार को घोलो,सदाचार की भाषा बोलो.कर्म करो कुछ भी तो पहलेसही गलत पलड़े मे तौलो.
अधर्म करे कोई उसको टोको,जंगल को कटने से रोको.जीवो पर करुणा दिखलाओ,लोभ मोह को दूर भगाओ.
क्यूं बनना पैसे का भोगी,स्वस्थ रहो और बनो निरोगी.बात पते की कहता जोगी,स्वर्ग से सुन्दर धरती होगी.

किसीको पसंद ना हो तो में उससे बात नहीं करता...

इस बरस सारी कायनात तेरा इकरार चाहती है...

मन में कभी किसी के लिए द्वेष मत रखो...

एक शहज़ादे का दिल तोड़ कर शैतान पर मरी है...

इंसान हो तो सही गलत को पहचानना जरुरी है...

जिकुड़ी मा कबळ्याट आँख्युमां रिंग च...