ख्वाब एक शायरी Posted By: Shayar_Pahadi जून 25, 2020 Leave a Reply सुबह सुबह तुम जब गाल खिंच कर मुझे जगाती हो...अपनी जुल्फे लहराकर मेरी नींद भगाती हो...मेरी नींद चुरकारके फिर कहाँ ओझल हो जाती हो...रोज सपनो में आकर के क्यों इतना मुझे सताती हो... Tweet Share Share Share Share
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