
पहाड की ठंडी हवा और पंदेर का मीठा पानी...जैसे दादाजी का दुलार और नानी माँ की कहानी...पहाड़ो की वादियां जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो...वही आता है उत्तराखंड जिसने बहुत पुण्य कमाया हो...जैसे स्कूल का पहला दिन और माँ का दुलार...कॉलेज का वो क्रश मेरा पहला पहला प्यार...जैसे पहाड़ छोड़ने के बाद अब गांव की याद सताती है...शहरी लड़कियां भी सुन्दर है पर मुझे पहाड़ी कुड़ियां भाती है...मिलेगी कोई पहाड़न तो अब गांव में ही बस जाऊंगा...शहर की भाग दौड़ से दूर रहूँगा चाहे दो रोटी कमाऊंगा...
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